हमारी नज़रों में अब टिमटिमाती हुई उमंगें भी नहीं बस ढलते हुए कुछ वक़्त के सिरे हैं। हमारी नज़रों में अब टिमटिमाती हुई उमंगें भी नहीं बस ढलते हुए कुछ वक़्त के सिरे ...
देखते देखते एक वक्त के बाद हमारी उम्र ढलने लगती है , हमारा शरीर कमजोर होने लगता है देखते देखते एक वक्त के बाद हमारी उम्र ढलने लगती है , हमारा शरीर कमजोर होन...
क्या उम्र भी - इसी तरह ढलती है ? उसका भी यही हश्र होता है ? क्या उम्र भी - इसी तरह ढलती है ? उसका भी यही हश्र होता है ?
वक़्त समंदर... वक़्त समंदर...
एक लम्हा हूँ गुज़रने दे मुझे वक़्त की गोद को भरने दे मुझे! एक लम्हा हूँ गुज़रने दे मुझे वक़्त की गोद को भरने दे मुझे!